स्वस्थ होने पर मन अभावों में भी खुश रह सकता है, लेकिन रोगी देह अपार सुखों में भी दु:ख का कारण बन जाती है। यही कारण है कि शास्त्रों में स्वास्थ्य को धन से भी अधिक महत्व दिया गया है। क्योंकि खराब सेहत आपकी आर्थिक हालात भी बिगाड़ सकती है। इसलिए अच्छी सेहत के लिए सबसे जरूरी है नियमित और सुनियोजित दिनचर्या और जीवनशैली।
बस, यही दोष आज के भागते-दौड़ते जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है, जिसने तमाम तरह के रोगों से जीवन को बेबस करने वाली बीमारियों को भी पैदा किया है। इन पर काबू पाना हर इंसान के अपने हाथों में संभव है, किंतु वह जरूरतों और जिम्मेदारियों को पूरा करने की विवशता मे न चाहकर भी दिनचर्या अनुशासित नहीं रख पाता।

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